आखिरकार बच ही गया 400 साल पुराना बरगद का पेड़- गडकरी ने हाईवे का नक्शा बदलवा दिया

New Delhi : महाराष्ट्र के सांगली जिले के भोसे गांव का 400 साल पुराना बरगद का पेड़ आखिरकार बच ही गया। महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे ने केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से डिमांड की थी कि इस ऐतिहासिक महत्व के पेड़ को बचाने के लिये नये राजमार्ग 166 के निर्माण की डिजाइन को बदला जाये। जिसे नितिन गडकरी ने स्वीकार लिया है। निर्माणाधीन राजमार्ग 166 का सर्विस रोड उसके पास से गुजरता है। इसलिए यह पेड़ काटकर रोड बनाने की तैयारी चल रही थी।

इस पेड़ को बचाने के लिए स्थानीय लोग काफी दिनों से आंदोलन कर रहे थे। इसके लिए सोशल मीडिया में कैंपेन भी शुरू हुई थी। कुछ लोगों द्वारा इसको लेकर ऑनलाइन पिटीशन भी दायर की गई थी, जिसे 14 हजार से ज्यादा लोगों का समर्थन मिला है। निर्माणाधीन रत्नागिरी- नागपुर हाइवे नंबर 166 सांगली जिले के भोसे गांव में स्थित शिवकालीन वडाचे झाड़ (बरगद के पेड़) के पास से गुजर रहा था। इसलिए पेड़ को काटने का काम शुरू भी हो गया था। स्थानीय लोगों, सांगली के पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पेड़ काटने का विरोध किया। राज्य के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे से इसकी शिकायत की गई। उन्होंने इस मामले की जानकारी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को दी।
इस योजनाबद्ध सड़क परियोजना से क्षेत्र के किसानों और नागरिकों को बहुत लाभ होगा। मंत्री आदित्य ठाकरे ने इसके लिए आभार व्यक्त किया। हालांकि, मिराज से पंढरपुर के बीच, राजमार्ग भी मोजे भोस तहसील मिरज, जिला सांगली के गांव से होकर गुजरता है। मोजे भोस गाँव ग्रुप नं 436 पर देवी यल्मा का एक प्राचीन मंदिर है और इस मंदिर के सामने एक विशाल बरगद का पेड़ है जो लगभग 400 साल पुराना है। यह लगभग 400 वर्गमीटर क्षेत्र में फैला है। इतना व्यापक है। बरगद का पेड़ क्षेत्र में एक ऐतिहासिक स्थल है, साथ ही चमगादड़ और अन्य दुर्लभ पक्षियों के लिए पर्यावास भी है।

इसके बाद लोगों की भावनाओं को देखते हुए गडकरी ने इस पेड़ को बचाने के लिए हाइवे के नक्शे में ही बदलाव करके ये प्रोजेक्ट पूरा करने का आदेश दिया है। अब यह हाईवे भोसे गांव की जगह आरेखन गांव से होकर गुजरेगा। नितिन गडकरी ने अपने डिपार्टमेंट के अधिकारियों से बात करके इस हाइवे के आरेखन में तब्दीली करके बरगद के इस 400 साल पुराने पेड़ को बचाने को कहा है और आखिरकार यह पेड़ बच गया है।

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